12 जनवरी 1863 एक ऐसे महापुरुष का जन्म हुआ जिन्होंने भारत को पुनर्जीवित कर दिया | नाम था नरेंद्र जो बाद में जाकर कहलाये विश्वविख्यात स्वामी विवेकानंद |
swami vivekananda आईये देखते हे स्वामी विवेकानन्द पुण्यतिथि पर उनके 10 विचार जो सभी में जोश भर दें?
1.मरते दम तक कार्य करते रहो – मैं तुम्हारे साथ हूँ और जब मैं चला जाऊँगा, तो मेरी आत्मा तुम्हारे साथ काम करेगी। धन, नाम, यश और सुखभोग तो केवल दो दिन के हैं। संसारी कीट की भाँति मरने की अपेक्षा कर्त्तव्य क्षेत्र में सत्य का प्रचार करते हुए मर जाना कहीं अधिक श्रेष्ठ है- लाख गुना अधिक श्रेष्ठ है। आगे बढो |
2. पहले हर अच्छी बात का मजाक बनता हे , फिर विरोध होता हे ओर अंत मे उसे स्वीकार कर लिया जाता हे |
3. उठो जागो ओर तब तक न रुको जब तक की लक्ष्य की प्राप्ति न हो जाये |
4. संगति हमें ऊंचा उठा भी सकती है और यह हमें ऊंचाई से गिरा भी सकती है। इसलिए संगति अच्छे लोगों से करें।
5. तुम्हें कोई पढ़ा नहीं सकता, कोई आध्यात्मिक नहीं बना सकता। तुमको सब कुछ खुद अंदर से सीखना है। आत्मा से अच्छा कोई शिक्षक नहीं है।
6. अगर धन दूसरों की भलाई करने में मदद करें, तो इसका कुछ मूल्य है। अन्यथा ये सिर्फ बुराई का ढेर है। इससे जितना जल्दी छुटकारा मिल जाए, उतना बेहतर है।
7. मस्तिष्क की शक्तियां सूर्य की किरणों के समान हैं। जब वो केन्द्रित होती हैं, चमक उठती हैं।
8. विश्व एक विशाल व्यायामशाला है जहाँ हम खुद को मजबूत बनाने के लिए आते हैं।
9. शक्ति जीवन है, निर्बलता मृत्यु हैं। विस्तार जीवन है, संकुचन मृत्यु हैं। प्रेम जीवन है, द्वेष मृत्यु हैं।
10. संभव की सीमा जानने का एक ही तरीका है, असंभव से भी आगे निकल जाना।
swami vivekananda ने 4 जुलाई 1902 में संसार से मुक्ति प्राप्त कर ली | स्वामी विवेकानंद का जीवन संघर्ष से भरा हुआ रहा | अमेरिका के शिकागो में swami vivekananda द्वारा दिया गया भाषण भारत को एक विशेष पहचान दिला गया |